जेनेरिक दवाएं, ब्रांडेड दवाओं का सस्ता लेकिन प्रभावी विकल्प होती हैं — फिर भी लोग इन पर भरोसा करने से झिझकते हैं। यह ब्लॉग बताएगा कि जेनेरिक दवाएं कैसे बनती हैं, ये इतनी सस्ती क्यों होती हैं, कौन इन्हें बनाता है, और समाज को इनसे क्या फायदे होते हैं। साथ ही, हम समझेंगे कि ब्रांडिंग, पेटेंट और मार्केटिंग के इस खेल में मरीजों को कैसे जागरूक रहना चाहिए।
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भारत में हर सातवां व्यक्ति प्री-डायबिटिक है — एक संकेत कि बदलाव जरूरी है।
डायबिटीज सिर्फ शुगर की बीमारी नहीं, बल्कि कई गंभीर जटिलताओं की जड़ बन सकती है।
समय रहते सही जीवनशैली अपनाकर आप स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
दुनिया की फार्मेसी कहलाने के बावजूद, भारत की जमीनी हकीकत काफी गंभीर है Diabetes, High BP गुर्दे और गैस्ट्रिक समस्याओं जैसी आम पुरानी बीमारियों की दवाएँ लोगों की पहुँच से बाहर होती जा रही हैं। स्वास्थ्य सेवा खर्च का 90% तक हिस्सा दवाओं पर खर्च होता है, जिससे आउट ऑफ पॉकेट (OOP) खर्च भी बढ़ जाता है स्थिति इतनी गंभीर है कि कई लोगों को इलाज का खर्च उठाने के लिए कर्ज तक लेना पड़ता है