PM Jan Aushadhi Yojna

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना से SayaCare तक का सफर 

स्वतंत्रता के बाद, भारतीय टेलीकॉम (फोन सेवाएं) पूरी तरह से भारतीय सरकार के नियंत्रण में था। अगर आप 1990 के आर्थिक उदारीकरण से पहले पैदा हुए हैं, तो आपको याद होगा कि उस समय फोन लाइन प्राप्त करना कितना मुश्किल था। सरकार इकलौती सेवा प्रदाता थी जिनका ध्यान मुख्यतः शहरी क्षेत्रों पर केंद्रित था। परन्तु सेवाओं की गुणवत्ता ख़राब होने कीे वजह से कॉल बार-बार कट जाती थीं। सरकारी टेलिकॉम कर्मचारी निर्णय लेने में भी काफी धीमे थे और गुणवत्ता में सुधार करने का कोई प्रोत्साहन भी नहीं था।

1990 के उदारीकरण के साथ एयरटेल, रिलायंस, वोडाफोन और आइडिया जैसी कंपनियां आईं, जिन्होंने सरकार को अपने टेलीकॉम सेवाओ को सुधारने के लिए मजबूर कर दिया। इसी कारण आज भारत में दुनिया की सबसे सस्तीे टेलीकॉम दरें हैं। यही स्थिति अब प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र और साया केयर के साथ हो रही है।

टेलीकॉम उद्योग की तरह ही, जेनेरिक दवाओं का बाजार भी काफी हद तक अनछुआ था, जब तक सरकार ने इसे बढ़ावा नहीं दिया। पुराने समय में, धन की कमी सबसे बड़ी बाधा थी, लेकिन प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना ने जेनेरिक दवाओं को बेचने के लिए आवश्यक विश्वास का निर्माण किया। इस योजना ने लोगों में जेनेरिक दवाओं के प्रति भरोसा जगा दिया।
हालांकि, सरकार की टेलीकॉम सेवाओं की तरह ही जन औषधि परियोजना में भी कुछ समस्याएं सामने आईं – जैसे की दवाइयों की गुणवत्ता में कमी, जवाबदेही की कमी, आम जनता की समस्याओं को हल करने में सुस्ती, और भ्रष्टाचार की संभावनाएं। इस परियोजना से जुड़े कर्मचारियों में प्रतिस्पर्धा करने और अपनी सेवाओं को सुधारने का उत्साह और इच्छाशक्ति भी नहीं थी। जिस वजह से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और फिर यही वह समय है, जब साया केयर ने इस चीज़ को बदलने का फैसला किया।

पारदर्शिता

साया केयर ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र की डबल टेस्टिंग की अवधारणा को आगे बढ़ने के साथ साथ इसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं के साथ बेहतर भी बनाया है। इनमें सबसे प्रमुख है – पारदर्शिता। एक ऐसे देश में, जो भ्रष्टाचार की समस्या से जूझ रहा है, किसी भी प्रकार की पारदर्शिता या जवाबदेही की कमी का लाभ आसानी से उठाया जा सकता है।

दवाइयों से अधिक अपारदर्शी चीजें बहुत कम हैं। लोग एक सॉल्ट कम्पोजिशन (यानी सक्रिय घटक) को ब्रांड नाम से पहचानते हैं और यह विश्वास करते हैं कि खरीदी गई दवा में वही घटक है जिसकी उन्हें आवश्यकता है। लेकिन, कुछ अनैतिक लोग लागत बचाने के लिए दोषपूर्ण दवाइयां बनाते है और उनमें सक्रिय घटकों (Active Ingredients) की मात्रा कम कर देते हैं, या उन्हें बिल्कुल भी नहीं डालते हैं।

भले ही सरकार गुणवत्ता का आश्वासन देती हो, लेकिन जन औषधि परियोजना से संबंधित नौकरशाह अक्सर अस्पष्ट और बदलते रहते हैं। और सिर्फ एक अनैतिक व्यक्ति की गलती से आपकी दवा दोषपूर्ण हो सकती है।

हमने पहली बार साया केयर में पारदर्शी डबल टेस्टिंग की शुरुआत के साथ पूर्व में की गयी गलतियों के दोहराने के अवसरों को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। कोई भी व्यक्ति हमारे द्वारा दी जाने वाली दवाइयों की गुणवत्ता प्रमाण पत्र देख सकता है जो की हमारी दवाइयों को सरकार द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला से मिलता है। यह प्रयोगशालाएं 7 अलग-अलग सरकारी संगठनों (CDCSO, राज्य नियामक प्राधिकरण, NABL, UCS, FSSAI, DCGI, राज्य खाद्य नियामक प्राधिकरण) के अधीन है, जो लगातार जांच करते हैं कि वे सही कार्य कर रहे हैं या नहीं। तो यदि कोई अनैतिक कार्य होता है, उसे इन 7 अलग-अलग संगठनों से छिपा पाना असंभव है।

इसके अतिरिक्त, इन प्रयोगशालाओं का पूरा व्यवसाय उनकी प्रतिष्ठा पर आधारित है। यदि उनके परिणामों से छेड़छाड़ की जाती है और यह जानकारी सार्वजनिक हो जाती है, तो उनके ग्राहक उन पर भरोसा नहीं करेंगे, जिससे उनका व्यवसाय बर्बाद हो जाएगा।

सुलभता

जेनेरिक दवाओं का व्यापार एक मात्रा का खेल है – कीमतें इतनी कम होती हैं कि मुनाफा कमाने के लिए बड़ी मात्रा में बिक्री करनी पड़ती है। इसका स्वाभाविक अर्थ यह है कि अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र जेनेरिक दवाओं के विक्रेताओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभदायक होते हैं।

हालांकि, दवाओं को एक ई-फार्मेसी के माध्यम से बेचना यह सुनिश्चित कर देता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी गुणवत्ता वाली दवाएं किफायती दामों पर प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जिन्हें कहीं आने-जाने में कठिनाई होती है, क्योंकि वे घर बैठे दवाइयां आसानी से मंगा सकते हैं।

गुणवत्ता

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र, एल1 प्रणाली का पालन करता है। एल1 प्रणाली का अर्थ है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को टेंडर दी जाती है, और उसे उसी मूल्य पर दवाएं प्रदान करनी होती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि दवाएं न्यूनतम स्वीकार्य गुणवत्ता में बनाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी दवा में सक्रिय घटक 90%-110% की निर्दिष्ट मात्रा के बीच होना चाहिए, तो एल1 प्रणाली के तहत प्रतिस्पर्धा निर्माता को लागत निकालने के लिए इसे 90% पर बनाने के लिए प्रेरित करती है।

साया केयर इस दृष्टिकोण का पालन नहीं करता। हम सबसे कम बोली लगाने वालों की जगह ऐसे आपूर्तिकर्ताओं से दवाइयां खरीदते हैं जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाते हैं, न कि सबसे सस्ते। बार-बार परीक्षण करके, हमने निर्माताओं और उनकी गुणवत्ता का एक डेटाबेस तैयार किया है, जिसका उपयोग हम यह निर्धारित करने के लिए उपयोग करते हैं कि कौन सबसे उच्च गुणवत्ता वाली दवा सबसे किफायती मूल्य पर प्रदान कर रहा है।

इसका मतलब यह है कि बेशक साया केयर की दवाएं सरकारी दवाओं की तुलना में सस्ती नहीं हो सकतीं, लेकिन उनकी गुणवत्ता निश्चित रूप से बेहतर होगी।

संगतता

जबकि अधिकांश सरकारी एजेंसियां परीक्षण के लिए सैंपलिंग तरीके का इस्तेमाल करती हैं, यह सैंपलिंग अक्सर ठीक से डिज़ाइन नहीं की जाती और यह गुणवत्ता को 100% सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त भी नहीं होती। सैंपलिंग में दवाइयों की सूची मे से कोई भी दवाई अचानक से ले कर उनकी गुणवत्ता जांची जाती है। भारत में जो तरीका इस्तेमाल किया जाता है, वह पूरी तरह से ठीक नहीं है, और इसमें केवल कुछ विशिष्ट श्रेणियों की दवाएं ही चुनी जाती हैं। जीवन रक्षक दवाओं का परीक्षण सैंपलिंग से नहीं किया जाना चाहिए, इसे हर बैच पर लगातार और पुनः परीक्षण करना चाहिए। यही काम साया केयर करता है, क्योंकि हम प्रत्येक बैच को लगातार डबल-टेस्ट करते हैं जो हमारे पास आती है।

अनुकूलता

दवा निर्माण की लागत पूरी तरह से उनके सक्रिय फार्मास्युटिकल घटकों (APIs) और दवा बनाने के लिए आवश्यक रसायनों की कीमतों पर निर्भर करती है। इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव व्यापार विभिन्न देशों के बीच व्यापार संबंध (क्यूंकि 70% APIs चीन से आते हैं), जलवायु और अन्य अप्रत्याशित वैश्विक घटनाओं पर निर्भर करता हैै। इन्हें किसी निर्मित उत्पाद के बजाय वस्तुओं के रूप में देखना चाहिए। इसका मतलब है कि लंबी टेंडर प्रक्रिया के कारण सरकार API की कीमतों में वृद्धि पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में असमर्थ है। क्यूंकि सरकार कंपनियों को कई नोटिस भेजेगी, जिसके बाद कंपनी के पास या तो अपना खरीद अनुबंध (Contract) तोड़ने का दबाव होगा या दवाओं का उत्पादन भारी नुकसान में करना होगा। परन्तु हम साया केयर में किसी भी आपूर्तिकर्ता की कीमत बढ़ने पर आसानी से उसे बदल सकते हैं, और अगर सभी कीमतें बढ़ती हैं तो हम दवाओं की कीमतों को भी बढ़ा सकते हैं। किसी आवश्यक दवा की कीमत बढ़ाना बेहतर है उसे उपलब्ध करने से।

ब्रांड डाइल्यूशन

अब जब साया केयर ने जन औषधि परियोजना से अपना कदम पीछे खींच लिया है, जन औषधि दवाएं मुख्य रूप से केवल प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (PMBJK) पर उपलब्ध हैं। ये केंद्र पूरे देश में फैले हुए हैं, हालांकि जो केंद्र पंजीकृत हैं, उनमें से एक छोटा प्रतिशत ही नियमित रूप से कार्यरत हैं। जो केंद्र कार्यरत हैं, वे आमतौर पर समझ चुके हैं कि जन औषधि दवाएं लाभकारी या स्थिर आय का स्रोत नहीं हैं। सरकार की अनुकूलता की कमी के कारण होने वाली दवाइयों की कमी ग्राहकों को उपलब्धता को लेकर चिंतित करती है। ग्राहकों के लिए कम कीमतें भी केंद्र के मालिकों के लिए कम आय का कारण हैं।

और अभी के समय ज्यादातर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र दवाइयों को सरकार के जगह तीसरे पक्षों से प्राप्त करना शुरू कर दिया है। हालाँकि जन औषधि दवाओं की गुणवत्ता जांच को लेकर सरकार काफी गंभीर हैं, जिस वजह से यंहा किसी भी सामान्य जेनेरिक दवाई की तुलना मेें अधिक निगरानी राखी जाती है। लेकिन ये निगरानी पूरी तरह से बेकार हो जाती है क्यूंकि ये केंद्र जन औषधि दवाएं बेचते ही नहीं, जो कि भारत भर के अधिकांश जन औषधि केंद्रों का हाल है। हम साया केयर में इस चुनौती को हल करते हैं, यह सुनिश्चित करके कि सभी दवाएं केवल हमारे सुरक्षित वेब एप्लिकेशन के माध्यम से ही आये।

उपयोग में सरलता

जेनेरिक दवाइयों को खरीदने में एक सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किसी विशेष ब्रांड की दवा के स्थान पर कौन सा जेनेरिक विकल्प लिया जा सकता है। साया केयर इस चुनौती को अपने एक अद्वितीय कन्वर्टर विशेषता के साथ पूरी तरह से हल कर देता है। साया केयर किसी भी ब्रांडेड दवा कविकल्प बनाने में सक्षम है, साथ ही हम घुलनशीलता प्रोफ़ाइल, टैबलेट का प्रकार और विटामिन्स जैसी बारीकियों का भी ध्यान रखते है।

विविधता

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र की एक सामान्य शिकायत यह है कि वह ग्राहक द्वारा मांगी गई दवाइयां उपलब्ध नहीं कर पाता है, या वह कुछ ऐसे दवाओं के संयोजन पेश करता है जो बाजार में सामान्यतः नहीं लिखे जाते हैं। वास्तव में, ऐसा अक्सर प्रतीत होता है कि कुछ संयोजन जो जन औषधि में उपलब्ध कराए गए थे, उन्हें बिना किसी विचार या ध्यान के पेश किया गया था। उदाहरण के लिए, Amlodipine 5 mg + Ramipril 5 mg उपलब्ध है, जो शायद ही कभी मांगा जाता है, जबकि Telmisartan 40 mg + Metoprolol (ER) 50 mg नहीं मिलती। साया केयर के पास इस समस्य का समाधान है, क्योंकि हम अपने पास संरक्षित प्रिस्क्रिप्शन और कन्वर्जन डेटा का उपयोग करके उपयुक्त दवा कोड का निर्धारण करते है। साया केयर कन्वर्जन अनुरोधों को देखता है और उसी के अनुसार अपनी दवाइयाँ चुनता है, हम आपकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक केवल सही दवाइयों का चयन करते है और बाकियों को छोड़ देते है।

उपलब्धता

जैसा कि हम पहले ही चर्चा कर चुके है की जेनेरिक दवाइयां एक मात्रा का खेल हैं। अधिकांश जेनेरिक दुकानें केवल वही रखती हैं जो आसानी से बिकती हैं, क्योंकि अविक्रयित दवाइयों को गुणवत्ता के कारण त्यागने का डर होता है। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र भी इसी तरह काम करते हैं; अविक्रयित दवाइयों पर रिफंड प्राप्त करना असंभव है। इसका मतलब है कि दुर्लभ दवाइयां, जो शायद ही कभी उपयोग की जाती हैं लेकिन अक्सर सबसे महत्वपूर्ण होती हैं, मेडिकल दुकानों में मिलना मुश्किल हो सकता है। साया केयर इस समस्या को हल करता है, क्योंकि यह दवाइयों को ई-फार्मेसी के माध्यम से उपलब्ध कराता है।

गुणवत्ता-आधारित आपूर्ति-श्रृंखला

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में एक बहुत लंबी आपूर्ति श्रृंखला होती है, जो निर्माता -> केंद्रीय गोदाम -> क्षेत्रीय गोदाम -> वितरक -> रिटेलर तक जाती है। जितनी लंबी आपूर्ति श्रृंखला होती है, उतनी ही अधिक पैसों की बर्बादी और दवाइयों के सुरक्षित ना रहने की संभावना होती है। दवाइयों को कम तापमान और न के बराबर आर्द्रता पर संग्रहित किया जाना चाहिए, जो भारत में बहोत ही कम दवाखाना करते हैै। लेकिन साया केयर में, दवाइयाँ सीधे निर्माता से हमारे तापमान/आर्द्रता-नियंत्रित वातावरण में आती हैं, फिर उसे आप तक पहुँचाने के लिए भेजा जाता है।

कई गुणवत्ता नियंत्रण विशेषज्ञों के अनुसार, दवाइयों के लिए सबसे हानिकारक चीज़ है उन्हें लंबे समय तक असुरक्षित वातावरण में रखा जाना। सोचिए, आपने कितनी बार ऐसे फार्मेसी का दौरा किया है जहाँ एयर कंडीशनिंग नहीं थी? क्या वे रात में एयर कंडीशनिंग चालू रखते हैं, ताकि उनकी दवाइयाँ गर्मी से खराब ना हो जाएं? क्या उनके पास भारी बारिश के दौरान नमी को नियंत्रित करने के लिए डिह्यूमिडिफायर होता है? यपरन्तु इन सभी परेशानियों से आपको छुटकारा मिल जाता है जब आप साया केयर से दवाइयां मंगाते हो क्यूंकि हम हर छोटी बात पे ध्यान देते है ताकि आपकी सिर्फ बेहतरीन गुणवत्ता वाली दवाइयां ही मिले।

तेज़ प्रक्रिया समय

संक्षिप्त आपूर्ति श्रृंखला के कारण, साया केयर परीक्षण के 3 महीने के भीतर दवाइयों का उपयोग करता है। मांग में अनिश्चितता के कारण यह समय थोड़ा बदल सकता है, लेकिन ज्यादा नहीं। इससे दो बातें सुनिश्चित होती हैं:

  1. कम बर्बादी: दवाइयाँ लंबी अवधि तक रखने से अक्सर expiry के कारण काफी मात्रा में बर्बाद हो जाती हैं। परन्तु साया केयर पे केवल तीन महीने के भंडारण की योजना बनाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि अगर दवाइयों को बेचने में दोगुना समय भी लगे, तो भी इनकी समय सीमा समाप्त न हो। नहीं होगी। 
  1. ओवर-एजिंग की कम संभावना: एक दवाई का परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि परीक्षण के समय गुणवत्ता सही है। लेकिन एक साल या दो साल  बाद क्या होता है? बैच समय के साथ ख़राब हो सकती है, शायद असुरक्षित वातावरण में रखा गया हो। शायद निर्माता ने उम्र बढ़ाने वाली सामग्री की मात्रा कम दी हो, और दवा की समय सीमा पहले ही समाप्त हो गई हो। इस समस्या से बचने के लिए हम दवाइयों का परीक्षण करके जितनी जल्दी हो उन्हें उपयोग में लाते हैं।

प्रतिक्रिया समय

मान लीजिए कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद पर कुछ दवाइयों की गुणवत्ता अच्छी है, लेकिन पैकिंग बिलकुल भी ठीक नहीं है। जिससे हर दूसरी गोली स्ट्रिप से आसानी से बाहर गिर जाती है और खराब हो जाती है। अब ऐसे में जब तक यह दवा उपभोक्ता तक पहुँचती है, इन्हे वापस मंगा के लिए निर्माता तक वापस भेजने के लिए एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होगा। लेकिन साया केयर के लिए ऐसे कर पाना बहोत ही आसान है क्यूंकि हम तुरंत उस दवा की सभी बैचों को वापस बुला सकते हैं और पैकिंग के लिए भेज सकते हैं। साया केयर की कोई लंबी आपूर्ति श्रृंखला नहीं है, और जिन ग्राहकों को खराब पैकिंग वाली दवा मिली है, उन्हें तुरंत सूचित किया जा सकता है क्योंकि सभी डेटा संग्रहीत होते हैं। गुणवत्ता में कोई भी गलती का त्वरित समाधान और पुनः कार्यवाही करने की यह क्षमता प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि में ड्रग रीकॉल की प्रक्रिया से कहीं बेहतर है। साया केयर किसी भी गुणवत्ता से संबंधित समस्या पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकता है, जबकि सरकारी संगठन ऐसा करने में शायद दवा की एक्सपायरी होने तक का समय लग जाए।

साया केयर भारत का पहला है, लेकिन शायद अंतिम नहीं, जो प्राइवेट डबल-टेस्टेड जेनेरिक दवाइयों के बढ़ते क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में बेची जाने वाली सभी दवाइयाँ टेस्टेड हों ताकि लोग केवल गुणवत्ता वाली दवाइयाँ प्राप्त करें। परीक्षण की लागत, महंगी ब्रांडेड दवाइयों के पारंपरिक विपणन की लागत के मुकाबले कुछ भी नहीं है, और इसके लाभ आसानी से जनता में महसूस किए जा सकते हैं। कभी भी किसी को दवाइयों की गुणवत्ता या कीमत को लेकर चिंता नहीं होनी चाहिए; मानव स्वास्थ्य पहले आता है। इसीलिए हम सभी दवाइयों को सरकार से प्रमाणित प्रयोगशाला में टेस्ट कराते है और उसकी क्वालिटी सर्टिफिकेट भी देते है। हमारी सभी दवाइयों पे 80% की छूठ है। 

Authors

  • Sagar Chaudhary
  • Dhruv Gupta

    Dr. Dhruv Gupta stands as a distinguished medical professional renowned for his expertise, particularly in [specific medical field]. His significant contributions extend into the forefront of healthcare innovation, where he has emerged as a pioneering advocate for e-pharmacy solutions. Dr. Gupta's visionary leadership in integrating technology and pharmaceutical services has reshaped the landscape of healthcare delivery. As a proactive participant in the telemedicine realm, he has demonstrated a commitment to enhancing patient care and accessibility to medications through digital platforms. Beyond his clinical practice, Dr. Gupta is actively engaged in medical education, often sharing his insights as a speaker at conferences. His patient-centric approach ensures that individuals benefit from convenient and reliable access to necessary medications, marking him as a key figure at the intersection of healthcare and technology.

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